मेरी पसंद के भजन

मुकुट सिर मोर का ...


मुकुट सिर मोर का, मेरे चितचोर का
दो नैना सरकार के, कटीले हैं कटार से ।।

कमल लजाए तेरे नैनों के देख के ।
झूलीं घटायें तेरे कजरे की रेख पे ।
ये मुखड़ा निहार के, सौ चाँद गये हार के ।। दो नैना ...

कुर्बान जाऊँ तेरी बाँकी अदाओं पे ।
पास मेरे आजा तोहे भर लूँ मैं बाँहों में ।
ज़माने को बिसार के, दिलो जाँ तो पे वार के ।। दो नैना ...

रमण बिहारी नहीं तुलना तुम्हारी ।
तुमसा ना पहले कोई ना होगा अगाड़ी ।
दिवानों ने विचार के, कहा ये पुकार के ।। दो नैना ...

लगन तुमसे लगा बैठे ...


लगन तुमसे लगा बैठे, जो होगा देखा जायेगा ।
तुम्हें अपना बना बैठे, जो होगा देखा जायेगा ।।

कभी दुनिया से डरते थे, के छुप-छुप याद करते थे ।
लो अब परदा हटा बैठे, जो होगा देखा जायेगा ।।

कभी ये ख्‍याल था दुनिया हमें बदनाम कर देगी ।
शरम अब बेच खा बैठे, जो होगा देखा जायेगा ।।

दीवाने बन गए तेरे तो फिर दुनिया से क्या डरना ।
तेरे चरणों में आ बैठे, जो होगा देखा जायेगा ।।

तेरी मंद मंद मुसकनिया पे ...


तेरी मंद मंद मुसकनिया पे बलिहार प्यारे जू ।
बलिहार प्यारे जू ।।

तेरे नैन अजब मतवारे, कजरारे कारे कारे ।
तेरी तिरछी सी चितवनिया पे, बलिहार प्यारे जू ।।

तेरे बाल अजब घुंघरारे, बादल ज्यों कारे कारे ।
तेरी मोर मुकुट लटकनिया पे, बलिहार प्यारे जू ।।

तेरी चाल अजब मतवारी, लगती है प्यारी प्यारी ।
तेरे पायन की पैजनिया पे, बलिहार प्यारे जू ।।

तेरे संग में राधा प्यारी, लगती हैं सबसे न्यारी ।
इस जुगल छबि पे मैं जाऊं, बलिहार प्यारे जू ।।

मेरे बांके बिहारी लाल ...


मेरे बांके बिहारी लाल, तू इतना ना करियो श्रृंगार
नजर तोहे लग जायेगी ।।

तेरी सुरतिया पे मन मोरा अटका, प्यारा लागे तेरा पीरा पटका ।
तेरे गल बैजन्ती माल, तू इतना ना करियो ... ...

तेरी मुरलिया पे मन मोरा अटका, प्यारा लागे तेरा नीला पटका ।
तेरे घुंघर वाले बाल, तू इतना ना करियो ... ...

तेरी कामरिया पे मन मोरा अटका, प्यारा लागे तेरा कारा पटका ।
तेरी टेढ़ी मेढ़ी चाल, तू इतना ना करियो ... ...

कभी भूलूं ना याद तुम्हारी ...


कभी भूलूं ना याद तुम्हारी रटूँ
तेरा नाम मैं शाम सवेरे, राधा रमण मेरे ।।

सिर मोर मुकुट कानन कुण्डल, दो चंचल नयन कटारें ।
मुख कमल पे भौंरे बने केश, लहरायें कारे कारे ।
हो जाओ प्रकट मम हृदय में, करो दिल के दूर अंधेरे ।।

गल सोह रही मोतियन माला, अधरों पर मुरली सजाये ।
करे घायल टेढ़ी चितवन से, मुसकान से चैन चुराये ।
हो भक्तों के सरताज किन्तु, राधा रानी के चेरे ।।

अपने आँचल की छाया में, करूणामय मुझे छुपा लो ।
मैं जनम जनम से भटकी हूँ, हे नाथ मुझे अपना लो ।
प्राणेश रमण तुम संग मेरे, हैं जनम जनम के फेरे ।।

जगत के रंग क्या देखूं ...


जगत के रंग क्या देखूं, तेरा दीदार काफी है
करूं मैं प्यार किस-किस से, तेरा इक प्यार काफी है ।।

नहीं चाहिये ये दुनिया के, निराले रंग-ढंग मुझको ।
चली जाऊँ मैं वृन्दावन, तेरा दरबार काफी है ।।

जगत के साज़-बाजों से, हुए हैं कान अब बहरे ।
वहाँ जाके सुनूं अनहद, तेरी झनकार काफी है ।।

जगत की झूठी रोशनी से, हैं आँखें भर गई मेरी ।
मेरी आँखों में हो हरदम, तेरा चमकार काफी है ।।

जगत के रिश्तेदारों ने, बिछाया जाल माया का ।
तेरे संतों से हो प्रीती, यही परिवार काफी है ।।

नहीं दरकार इस जग की, मेरा बस श्याम प्यारा है ।
सहारे औ.र छोड़ दिये, श्याम सरकार काफी है ।।

क्या रूप सुहाना है ...


क्या रूप सुहाना है, मेरे राधा-रमण का
संसार दिवाना है, मेरे राधा-रमण का ।।
मेरा दिल तो दिवाना है, मेरे राधा-रमण का ।।

राधे-राधे, राधे-राधे, राधे-राधे बोलो ।
कृष्ण-कृष्ण, कृष्ण-कृष्ण, कृष्ण-कृष्ण बोलो ।।

मेरे रमण बिहारी की, हर बात निराली है ।
हर बोल तराना है, मेरे राधा रमण का ।।

मदमस्ती भरे नैना, अमृत बरसाते हैं ।
कैसा मुसकाना है, मेरे राधा रमण का ।।

रिश्ता नहीं दो दिन का, मेरा तो इन संग में ।
सदियों से पुराना है, मेरे राधा रमण का ।।

यही आस बसूं बृज में, गुरूदेव कृपा से ।
निसदिन गुण गाना है, मेरे राधा रमण का ।।

ओ मेरे कृष्णा ओ मेरे श्याम ...


ओ मेरे कृष्णा ओ मेरे श्याम
तेरा नाम पुकारूं मैं इक इक पल, तेरी बाट निहारी मैं इक इक पल
कान्हा, तू कहाँ ।।

कासे कहूँ मन की व्यथा, न जाने कोउ मेरी व्यथा
लगन थारी लागी पिया, पिया ओ म्हारा श्याम पिया
मेरे श्याम, तेरा नाम, आठों याम, श्याम पिया ।। ओ ....

आजा गिरधारी पिया, न तोरे बिन लागे जिया
दरस बिन चैन कहाँ, साँवरे सांवरिया
मेरे श्याम, तेरा नाम, आठों याम, श्याम पिया ।। ओ ....

रसिक रसराज हो तुम, बृज के गिरिराज हो तुम
भगत की लाज हो तुम, सूर के श्याम हो तुम
मेरे श्याम, तेरा नाम, आठों याम, श्याम पिया ।। ओ ....

तेरी बिगड़ी बना देगी ...


तेरी बिगड़ी बना देगी, चरण रज राधा प्यारी की
तू बस इक बार श्रृद्धा से लगाकर देख मस्तक पर ।
सोई किस्मत जगा देगी, चरण रज राधा प्यारी की ।।

दुखों के घोर बादल हों, या लाखों आंधियाँ आयें ।
तुझे सब से बचा लेगी, चरण रज राधा प्यारी की ।।

तेरे जीवन के अंधियारों में बनकर रोशनी तुझको ।
नया रस्ता दिखा देगी, चरण रज राधा प्यारी की ।।

भरोसा है अगर सच्चा उठाकर फर्श से तुझको ।
ये अर्शों पे बिठा देगी, चरण रज राधा प्यारी की ।।

लिखे महिमा चरण रज की, नहीं है दास की हस्ती ।
तुझे प्रीतम से मिला देगी, चरण रज राधा प्यारी की ।।
तुझे कान्हा से मिला देगी, चरण रज राधा प्यारी की ।।

नाथ मैं थारो जी थारो ...


नाथ मैं थारो जी थारो, नाथ मैं थारो जी थारो
चोखो, बुरो, कुटिल, खल, कामी, जो कुछ हूँ सो थारो ।।

बिगड्यो हूँ तो थारो बिगड्यो, थे ही मनै सुधारो ।
सुधर्यो तो प्रभु थारो सुधर्यो, थांसूं कदे न न्यारो ।।

बुरो, बुरो मैं बहुत बुरो हूँ पर, आखिर टाबर थारो ।
बुरो कुहाकर मैं रै जास्यूं, नांव बिगड़सी थारो ।।

थारो हूँ थारो ही बाजूँ, रैस्यूँ थारो थारो ।
आंगळियां न्हूँ परै न होवे, आ तो आप बिचारो ।।

मेरी बात जाय तो जाओ, सोच नहीं कछु आं रो ।
मेरै बडो सोच यो लाग्यो, बिरद लाजसी थारो ।।

जंचै जिस तर्याँ करो नाथ अब मारो चाहे तारो ।
बात उघड़गी तो लाज मरोला, न्हानी बात विचारो ।।

कद आओला कन्हैया म्हारे द्वार...


कद आओला कन्हैया म्हारे द्वार,
मैं ठाड़ी जोऊँ बाटड़ली ।।

मन मंदिर में ज्ञान बुहारी दे लीनी भरपूर
पाप कजोड़ो सोर बगा दीनो छै बोळी दूर ।
धोयो आंगणियो आंसूड़ा बरसा'र मैं ठाड़ी जोऊँ ... ।।

हिरदा रा सिंहासण ऊपर ध्यान बिछायो चीर
सूनो आसण देख-देख छूटै छै म्हारो धीर ।
आओ आओजी करूंली मनुहार, मैं ठाड़ी जोऊँ ... ।।

मैं छूँ दासी आपकी राधा छै म्हारो नाम
रोम-रोम थांकै अरपण छै, सुण लीज्यो घनश्याम ।
म्हारा नैणां मैं समाओ भरतार, मैं ठाड़ी जोऊँ ... ।।

भोळी सूरत सांवळी, घुंघराळा काळा केस
कामणगारी बांसुरी जी, वो नटवारो भेस ।
दिखा दीज्यो जी गुवाळ्यां रा सिरदार, मैं ठाड़ी जोऊँ ... ।।

पलकां पर पग मेलता, उतराज्यो मंदिर बीच
पूजन करस्यूं, भोग लगास्यूं , दोनूं आंख्याँ मींच ।
थांका चोखा सा. करूंली सिणगार, मैं ठाड़ी जोऊँ ... ।।

सिंहासण पर प्रेम सैं बैठाउंली कर जोर
मैं तन की सुध भूलस्यूँ थे बण जाज्यो चितचोर ।
थांका मुखड़ा पै हो जाऊँ बलिहार, मैं ठाड़ी जोऊँ ... ।।

नेह नदी पर रास रच्यो छै, अंडै छै यमुना नीर
कृष्ण राधिका एक जोत रैवांला जादूगीर ।
करस्यां जमुना मैं 'जुगल' विहार, मैं ठाड़ी जोऊँ ... ।।

कांई जादू कर दीनो...


कांई जादू कर दीनो, थांकी याद आवै छै ।।

कामणगारा थे क्यांनै म्हांकै द्वार आवै छा
म्हांनै देख्यां आँख्यां मैं आंसूं क्यानै ल्यावै छा ।
वाही भोळी सूरत थांकी याद आवै छै ।।

पाणी भरबा जावै छी मग मैं क्यांनै टोकै छा
माखन मिसरी लेबा कै मिस थे क्यांनै रोकै छा ।
थांकी मीठी मनभावन बातां याद आवै छै ।।

बंसी हाळा बंसी सैं म्हांनै क्यांनै मोह्या छा
ऊंकी धुन पर तन-मन-धन म्हे तो सारा खोया छा ।
जादूगारी वा थांकी मुरली याद आवै छै ।।

यमुना तट पर कान्हा थे क्यांनै रास रचावै छा
म्हानै लेकर मधुबन मैं क्यांनै नाच नचावै छा ।
प्यारा नटवर वा थांकी सूरत याद आवै छै ।।

आवो आवो श्रीगोविन्द थां बिन हिवड़ो तरसै छै
झांको प्यारा आँख्यां सैं निसदिन आंसू बरसै छै ।
कांई थांनै 'जुगल' की भी याद आवै छै ।।

सखी री बांके बिहारी से हमारी ...


सखी री बांके बिहारी से, हमारी लड़ गई अँखियाँ ।
बचाई थी बहुत लेकिन, निगोड़ी लड़ गई अँखियाँ ।।

न जाने क्या किया जादू, ये तकती रह गई अँखियाँ ।
चमकती, हाय बरछी सी कलेजे गड़ गई अँखियाँ ।।

चहुँ दिस रस भरी चितवन, मेरी ऑंखों में लाते हो ।
कहो, कैसे कहाँ जाऊँ, ये पीछे पड़ गई अँखियाँ ।।

भले ही तन से निकलें प्राण, मगर छबि ये न निकलेगी ।
अंधेरे, मन के मंदिर में, मणी सी जड़ गई अँखियाँ ।।


राधे राधे गोविन्द, गोविन्द राधे ।।

सांवरा, मेरा सांवरा ...


सांवरा मेरा-सांवरा, सांवरा मेरा-सांवरा ।
लूट कर ले गया दिल जिगर, सांवरा जादूगर ।।

मैं तो गई भरने को जमुना से पानी
देख छबि नटखट की, हुई मैं दिवानी ।
उसने मारी जो तिरछी नज़र, सांवरा जादूगर ।।

तान सुनी बांसुरी की सुधबुध मैं खोई
भूल गई लोक-लाज, बस तेरी मैं होई ।
छोड़ के तुझको जाऊँ किधर, सांवरा जादूगर ।।

बांध ली रमण तुमसे आशा की लडि़याँ
है यही तमन्ना शेष जीवन की घडि़याँ ।
तेरे चरणों में जाएं गुज़र, सांवरा जादूगर ।।

अलबेले श्याम मेरे मतवारे श्याम ...


अलबेले श्याम मेरे मतवारे श्याम ।
तेरी मुरली की मैं हूँ गुलाम, मेरे अलबेले श्याम ।।

घर बार छोड़ा सब तेरी लगन में
बावरी भई डोलूं मैं, बृज की गलिन में ।
तूने कैसा दिया ये ईनाम, मेरे अलबेले श्याम ।।

सांवरे सलोने यही बिनती हमारी
कर दो कृपा मै हूँ दासी तुम्हारी ।
तेरी सेवा करूँ आठों याम, मेरे अलबेले श्याम ।।

मेरा सांवरा सलोगा गिरधारी ...


मेरा सांवरा सलोना गिरधारी, सैयो नी मेरा दिल ले गया ।
सोणा मुखड़ा ते लट घुंघराली, सैयो नी मेरा दिल ले गया ।।

अंखियों दे विच अंखियां पा के
अड़ग गया नी मेरे दिल विच आ के ।
मेरी सुधबुध खो गई सारी, सैयो नी मेरा दिल ले गया ।।

की दस्सां कुछ बस नईंओ मेरे
लभदी फिरां उँनूं चार-इच-फेरे ।
दासी तक-तक रा' औंदी हारी, सैयो नी मेरा दिल ले गया ।।

तेरी नजर बनी रहे ...


तेरी नज़र बनी रहे, दुनिया से हमको क्या ।
तुझसे लगन लगी रहे, दुनिया से हमको क्या ।।

तू ही है अपना प्यारा, आंखों का है तू तारा
तेरी लगन लगी रहे, दुनिया से हमको क्या ।।

सूखी है इश्क नदिया, आ जाओ श्याम छलिया
दिल में लहर बनी रहे, दुनिया से हमको क्या ।।

दर-दर मैं भूला भटका, कांटों में डोला अटका
तेरी खबर बनी रहे, दुनिया से हमको क्या ।।

है सबसे शोभा न्यारी ...


है सबसे शोभा न्यारी रमण बिहारी की ।
जाऊँ बार-बार बिलहारी मेरे रमण बिहारी की ।।

मुसकाये, मुरली बजाये गुलाबी अधरों से
वो कस-कस तीर चलाये नशीली नज़रों के
घुघरारी अलकें नागिन सी लट कारी की ।।

नख से शिख, तक श्रृंगार जड़ाऊ गहने हैं
कटि कांछनी बूटीदार पीताम्बर पहने हैं
सिर साजे टेढ़ी पाग नैन सुखकारी की ।।

तुम्हें साधन, कर अपनाऊँ ये मेरे हाथ नहीं
तुम ही प्राणों के प्राण ये झूठी बात नहीं
तुम स्वामी और मैं दासी भानु दुलारी की ।।

रहे रमण, हृदय में तिहारा सदा ये मन चाहे
दृढ़ संबंध हमेशा आपसे मेरा बन जाये
कर दो अभिलाषा पूरण दीन भिखारी की ।।

सुन बरसाने वारी ...


सुन बरसाने वारी, गुलाम तेरो बनवारी ।
गुलाम तेरा बनवारी, गुलाम तेरो बनवारी ।।

तेरी पायलिया पे बाजे मुरलिया
छाम-छम नाचे गिरधारी ।।

चंद्र से आनन पे बड़ी बड़ी अंखिंयॉं
वा पे लट लटकें घुंघरारी ।।

बड़े-बड़े नैनन में झीनो-झीनो कजरा
घायल कुँज बिहारी ।।

कदम्ब की डारी पे झूला पड्यो है
झोटा देत बिहारी ।।

वृन्‍दावन के राजा होकर
छाछ पे नाचें मुरारी ।।

रूठें राधे श्याम मनावें
या छबि पेमैं बलिहारी ।।

ओ म्हानै रंग द्यो नाथ थोँरै रंग में ...


ओ म्हानै रंग द्यो नाथ थोँरै रंग में ।
ओ म्हारा ठाकुर लछमी रा नाथ, म्हारे सिर पर राखो हाथ
हेरी आन बसो म्हारे मन में ।।

तेरा श्याम रंग लागे प्यारा, मेरी आंखों ने इसको निहारा
ओ अबतो बस जाओ मेरे नयन में ।।

भोर होत मैं द्वारे आवां, चरणामृत तुलसी पावां
ओ ऐसी लगन लगाओ जीवन में ।।

थारै रूप में म्हें खो जावां, जद चावां म्हे दरसण पावां
ओ ऐसी जोत जगाओ हिरदै में ।।

'प्रीतराज' मैं जाऊँ बलिहारी, आया नाथ मैं शरण तिहारी
ओ अब तो रख लो थोँरी सरण में ।।